Monday, October 8, 2012

Photo Exhibition by DAVP

Public Information Campaign on Bharat Nirman
People visiting the Photo Exhibition put up by DAVP, during the Public Information Campaign on Bharat Nirman, at Bagepalli (Taluk), Chikballapur, Karnataka on October 07, 2012. (PIB)   08-October-2012

Shri N. Sampangi

Inaugurating the Public Information campaign
The M.L.A, Bagepally, Shri N. Sampangi inaugurating the Public Information campaign on Bharat Nirman, at Bagepalli (Taluk), Chikballapur, Karnataka on October 07, 2012. (PIB) 08-October-2012

Friday, October 5, 2012

कर्नाटक में राष्‍ट्रीय राजमार्ग-63

05-अक्टूबर-2012 12:25 IST
हुबली-होसपेट खंड को चार लेन का बनाने की मंजूरी
आधारभूत संरचना की मंत्रिमंडलीय समिति ने डिजाइन, निर्माण, वित्‍त, परिचालन और हस्‍तांतरण (डीबीएफओटी/बीओटी) आधार पर एनएचडीपी चरण-4 के अंतर्गत कर्नाटक में राष्‍ट्रीय राजमार्ग-63 के हुबली-होसपेट खंड को चार लेन का बनाने की मंजूरी दे दी है। इस सड़क की कुल लंबाई 143.29 किलोमीटर होगी। भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पूर्व-निर्माण गतिविधियों सहित परियोजना की कुल लागत 1442.48 करोड़ रूपये होगी। 30 महीने की निर्माण अवधि सहित इस सड़क की रियायती अवधि 27 वर्ष होगी। 

परियोजना का मुख्‍य उद्देश्‍य कर्नाटक में आधारभूत संरचना सुधार में तेजी लाने के साथ-साथ हुबली और होसपेट के बीच चलने वाले भारी यातायात के समय और यात्रा की लागत में कमी लाना भी है। यह खंड मुख्‍य औद्योगिक शहरों होसपेट और हुबली को आपस में जोड़ता है। बेल्‍लारी, कर्नाटक का प्रमुख खनन शहर है और यह खंड बेल्‍लारी से कारवाड़ बंदरगाह तक खनिजों की ढुलाई में मदद करेगा। परियोजना गतिविधियों के लिए इससे स्‍थानीय मजदूरों को अधिक रोजगार उपलब्‍ध होंगे तथा धारवाड़, गड़ाग और कोपाल जिले भी लाभांवित होंगे। (पत्र सूचना कार्यालय)


मीणा/इन्‍द्रपाल/गीता-4789

Monday, September 17, 2012

भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण को मिली सफलता

आंखों की पु‍तली का सत्‍यापन अध्‍ययन सफल
भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण ने कर्नाटक के मैसूर जिले में आंखों की पुतली के सत्‍यापन प्रमाण का अध्‍ययन सफलतापूर्वक संचालित किया है। अध्‍ययन से आंखों की पुतली के सत्‍यापन में उच्‍च स्‍तर की सटीकता (99 दशमलव 2 प्रतिशत) प्राप्‍त हुई है। आंखों की पुतली और उं‍गलियों के निशान की पहचान की सहायता से सार्वभौमिक समावेशन के लक्ष्‍य को पाया जा सकता है तथा आधार परियोजना के सत्‍यापन के अनुसार ही इसके सफलतापूर्वक इस्‍तेमाल पर आगे बढ़ा जा सकता है। भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण की सफलता की तर्ज पर ही तथा किसी सेवा को आरंभ करने से पहले संकल्‍पना के सत्‍यापन के साबित हो चुके प्रचलन के अनुसार आंखों की पुतली के ऑन लाइन सत्‍यापन प्रणाली की विशेषता का अध्‍ययन किया गया। यह अध्‍ययन 27 मई, 2012 से 30 जुलाई, 2012 के बीच कर्नाटक के मैसूर जिले के नांजनगुड तालुक में किया गया जो उपनगरीय क्षेत्र है। इसके तहत वहां के 5,833 निवासियों के 2,15,342 पुतली सत्‍यापन व्‍यवहार का अध्‍ययन किया गया। इस अध्‍ययन में छह विभिन्‍न ओईएम के माध्‍यम से आईरिस कैमरे के आठ मॉडल इस्‍तेमाल किये गये। इस अध्‍ययन से भी बॉयोमिट्रिक इको सिस्‍टम में विशेष सुधार के क्षेत्र का पता लगा, जिससे कि इसकी स‍टीकता और बढ़ाई जा सके। इस विस्‍तृत अध्‍ययन रिपोर्ट को प्रलेखित किया गया, जिसे भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण की वेब-साइट पर प्रकाशित किया जा रहा है, इसके बाद एक कार्यशाला आयोजित की जायेगी जिसमें कलन-विधि तथा युक्ति में सुधार के लिए विशेष कार्यप्रणाली के लिए निर्देशित किया जायेगा। भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण इसके बाद आगे और विशेष अध्‍ययन करेगा। इन अध्‍ययनों से सत्‍यापन तथा इन्‍हें स्‍थापित किये जाने के उद्देश्‍य के लिए आईरिस उपकरण का निरूपण हो सकेगा। यह भी ध्‍यान देने वाली बात है कि बॉयोमिट्रिक इकोसिस्‍टम की प्रतिपुष्टि के परिणाम स्‍वरूप उंगलियों के निशान के सत्‍यापन संबंधी प्रदर्शन में उल्‍लेखनीय सुधार हुआ। अब आंखो की पुतली संबंधी सत्‍यापन में भी इसी तरह का परिणाम अपेक्षित है। यह इस बात को इंगित करता है कि आंखों की पुतली से सत्‍यापन की गुंजाईश 99 दशमलव 5 प्रतिशत से अधिक की सटीकता प्रदान करने की है।  (पत्र सूचना कार्यालय)    17-सितम्बर-2012 17:53 IST

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Iris authentication study in Mysore

UIDAI’s proof of concept study successful
The UIDAI has successfully conducted the proof of concept Iris authentication study in Mysore district of Karnataka. The study brought out the high accuracy levels (above 99.2%) achieved by iris authentication. A combination of iris and fingerprint authentication can further the goals of universal inclusion and pave the way for successful applications based on Aadhaar authentication. In line with UIDAI’s successful and proven practice of conducting Proof of Concept (PoC) studies before launching any service, a PoC has been conducted to characterize & identify optimal authentication setups for online iris authentication. The PoC was conducted in semi urban setting in Nanjangud taluk in Mysore district of Karnataka between May 27th and July 30th 2012. 215,342 iris authentication transactions from 5833 residents were studied in this PoC. Eight models of iris cameras through six different OEMs participated in this study. This study has also brought out the specific improvement areas that biometric ecosystem needs to work upon to further improve the accuracy and coverage percentage. The detailed findings are documented in a report which is being published on UIDAI’s website. This will be followed by a workshop with the device vendors to guide them on the specific actions to be taken by them to improve algorithms and devices. UIDAI will then take up further field studies. These studies would also lead to formulation of iris device specifications for certification and deployment purposes. It may also be noted that as a result of feedback to the biometric ecosystem, the performance of fingerprint authentication improved substantially from the time UIDAI conducted its first fingerprint authentication PoC to the last PoC. Same is expected in iris authentication domain too, which points that iris authentication has a scope of providing accuracy levels above 99.5%. (PIB)    17-September-2012 15:8 IST 
                                                                                        
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Thursday, August 23, 2012

देश की एकता-अखंडता खतरे में ?//राजीव गुप्ता

 भारत-विभाजन जैसी वीभत्स त्रासदी से सबक क्यों नहीं?
                                                                                                                              तस्वीर जनोक्ति से साभार 
भारत इस समय किसी बड़ी संभावित साम्प्रदायिक-घटना रूपी ज्वालामुखी के मुहाने पर खड़ा हुआ प्रतीत हो रहा है. देश की एकता-अखंडता खतरे में पड़ती हुई नजर आ रही है. देश की संसद में भी आतंरिक सुरक्षा को लेकर तथा सरकार की विश्वसनीयता और उसकी कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिंह खड़े किये जा रहे है. सांसदों की चीख-पुकार से सरकार की अब जाकर नीद खुली है. सरकार ने आनन्-फानन में देश में मचे अब तक के तांडव को पाकिस्तान की करतूत बताकर अपना पल्ला झड़ने की कोशिश करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने के नाम पर भारत के गृहमंत्री ने पाकिस्तान के गृहमंत्री से रविवार को बात कर एक रस्म अदायगी मात्र कर दी और प्रति उत्तर में पाकिस्तान ने अपना पल्ला झाड़ते हुए भारत को आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेलना बंद करने की नसीहत देते हुए यहाँ तक कह दिया कि भारत के लिए सही यह होगा कि वह अपने आंतरिक मुद्दों पर पर ध्यान दे और उन पर काबू पाने की कोशिश करे. अब सरकार लाख तर्क दे ले कि इन घटनाओ के पीछे पाकिस्तान का हाथ है, परन्तु सरकार द्वारा समय पर त्वरित कार्यवाही न करने के कारण जनता उनके इन तर्कों से संतुष्ट नहीं हो रही है इसलिए अब प्रश्न चिन्ह सरकार की नियत पर खड़ा हो गया है क्योंकि असम में 20 जुलाईं से शुरू हुईं सांप्रादायिक हिंसा जिसमे समय रहते तरुण गोगोईं सरकार ने कोई बचाव-कदम नहीं उठाए मात्र अपनी राजनैतिक नफ़ा-नुक्सान के हिसाब - किताब में ही लगी रही. परिणामतः वहां भयंकर नर-संहार हुआ और वहा के लाखो स्थानीय निवासियों ने अपना घर-बार छोड़कर राहत शिवरों में रहने के लिए मजबूर हो गए.
असम के विषय में यह बात जग-जाहिर है कि असम और बंग्लादेश के मध्य की 270 किलोमीटर लम्बी सीमा में से लगभग 50 किलोमीटर तक की सीमा बिलकुल खुली है जहा से अवैध घुसपैठ  होती है और इन्ही अवैध घुसपैठों के चलते लम्बे समय से वहा की स्थानीय जनसंख्या का अनुपात लगातार नीचे गिरता जा रहा है. यह भी सर्वविदित है कि असम में हुई हिंसा हिन्दू बनाम मुस्लिम न होकर भारतीय बनाम बंग्लादेशी घुसपैठ का है. जिसकी आवाज़ कुछ दिन पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी बुलंद की थी और यह सरकार से मांग की थी कि असम से पलायन कर गए लोगों की स्थिति कश्मीरी पंडितों जैसी नहीं होनी चाहिए . ध्यान देने योग्य है कि 1985 में तत्कालीन प्राधानमंत्री राजीव गांधी के समय असम में यह समझौता हुआ था कि बंगलादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजा जाय परन्तु इस विषय के राजनीतिकरण के चलते  दुर्भाग्य से इस समझौते के प्रावधानों को कभी भी गम्भीरता से लागू नहीं किया गया. परिणामतः असम में 20 जुलाईं से उठी चिंगारी ने आज पूरे देश को अपनी चपेट में लिया है.
दक्षिण भारत के दो प्रमुख राज्यों आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के साथ-साथ  महाराष्ट्र से उत्तर-पूर्व के हजारो छात्रों का वहा से पलायन हो रहा है और अब यह सिलसिला भारत के दूसरो शहरो में भी शुरू हो जायेगा इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. प्रधानमंत्री संसद में यह लाख तर्क देते रहे कि हर देशवासी की तरह पूर्वोत्तर के लोगों को देश के किसी भी भाग में रहने, पढ़ाईं करने और जीविकोपार्जन करने का अधिकार है. पर सच्चाई उनके इस तर्क से अब कोसों दूर हो चुकी है. देश की जनता को उनके तर्क पर अब विश्वास नहीं हो रहा है. सरकार के सामने अब मूल समस्या यही है कि वो जनता को विश्वास कैसे दिलाये. भारतवर्ष सदियों से अपने को विभिन्नता में एकता वाला देश मानता आया है क्योंकि यहाँ सदियों से अनेक मत-पन्थो के अनुयायी रहते आये है. परन्तु समस्या विकराल रूप तब धारण कर लेती है जब एक विशेष समुदाय के लोग देश की शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में अपना विश्वास करना छोड़ कर भारत की एकता - अखंडता पर प्रहार करने लग जाते है और वहा के दूसरे समुदाय की धार्मिक तथा राष्ट्रभक्ति की भावनाओ को कुचलने का प्रयास करने लग जाते है क्योंकि हर साम्प्रदायिक-घटना किसी समुदाय द्वारा दूसरे समुदाय की भावनाओ के आहत करने से ही उपजती है. अभी हाल में ही दिल्ली के सुभाष पार्क , मुम्बई के आज़ाद मैदान, कोसीकला, बरेली जैसे शहरो में हुई घटनाये इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है.   

मुम्बई में बने शहीदों के स्मारकों को तोडा गया, मीडिया की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. पुलिस पर हमला किया गया जिसमे गंभीर रूप से घायल हो गए. इतना ही नहीं यह आग रांची, बैंगलोर जैसे अनेक शहरों तक जा पहुची यहाँ तक की उत्तर प्रदेश के लखनऊ, इलाहाबाद जैसे कई शहर भी इस आग में झुलस गए परिणामतः प्रशासन द्वारा वहा कर्फ्यू लगा दिया गया. असल में अब समस्या यह है नहीं किस राज्य में किस समुदाय द्वारा सांप्रदायिक - हिंसा की जा रही है अथवा उन्हें ऐसा करने के लिए कौन उकसा रहा है जिससे उन्हें ऐसा करने का बढ़ावा मिल रहा है अपितु अब देश के सम्मुख विचारणीय  प्रश्न यह है कि इतिहास अपने को दोहराना चाह रहा है क्या ? सरकार भारत-विभाजन जैसी वीभत्स त्रासदी वाले इतिहास से सबक क्यों नहीं ले रही है ?  क्या सरकार खिलाफत-आन्दोलन और अलास्का की घटना की प्रतिक्रिया स्वरुप भारत में हुई साम्प्रदयिक-घटना जैसी किसी बड़ी घटना का इंतज़ार कर रही है ? यह बात सरकार को ध्यान रखनी चाहिए कि जो देश अपने इतिहास से सबक नहीं लिया करता उसका भूगोल बदल जाया करता है इस बात का प्रमाण भारत का इतिहास है. एक समुदाय द्वारा देश में मचाये जा रहे उत्पात पर निष्पक्ष कही जाने वाली मीडिया की अनदेखी और सरकार की चुप्पी से भारत के बहुसंख्यको में अभी काफी मौन-रोष पनप रहा है इस बात का सरकार और मीडिया को ध्यान रखना चाहिए और समय रहते इस समस्या को नियंत्रण में करने हेतु त्वरित कार्यवाही करना चाहिए. 
लेखक:राजीव गुप्ता
यह एक कटु सत्य है कि विभिन्न समुदायों के बीच शांति एवं सौहार्द स्थापित करने की राह में सांप्रदायिक दंगे एक बहुत बड़ा रोड़ा बन कर उभरते है और साथ ही मानवता पर ऐसा गहरा घाव छोड़ जाते है जिससे उबरने में मानव को कई - कई वर्ष तक लग जाते है. ऐसे में समुदायों के बीच उत्पन्न तनावग्रस्त स्थिति में किसी भी देश की प्रगति कदापि संभव नहीं है. आम - जन को भी देश की एकता – अखंडता और पारस्परिक सौहार्द बनाये रखने के लिए ऐसी सभी देशद्रोही ताकतों को बढ़ावा न देकर अपनी सहनशीलता और धैर्य का परिचय देश के विकास में अपना सहयोग करना चाहिए. आज समुदायों के बीच गलत विभाजन रेखा विकसित  की जा रही है. विदेशी ताकतों की रूचि के कारण स्थिति और बिगड़ती जा रही  है जो भारत की एकता को बनाये रखने में बाधक है. अतः अब समय आ गया है देश भविष्य में ऐसी सांप्रदायिक घटनाये न घटे इसके लिए जनता स्वयं प्रतिबद्ध हो.
-    लेखक:राजीव गुप्ता, 9811558925


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दिल्ली स्क्रीन में देखें: एक ही जन्म में दो जन्म का कारावास

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Monday, August 20, 2012

Urgent Appeal to Media and Press in the North east

Appeal on behalf of the north east community
                                                                                                                                                              Courtesy photo
This is an urgent appeal on behalf of the north east community living in Bangalore and other cities outside of the north east. As you are aware the situation in many cities has been tense fuelled by rumours of potential violence as well as stray incidents, which have resulted in many people leaving these states and returning to their respective homes in Assam and elsewhere.

As the trains start arriving in Assam and elsewhere there will be an urge to interview people to get a sense of what has been happening and we fear that some of thee stories may be based not on facts but on hearsay and rumour. We urge the media to exercise refrain in the way they carry the stories. The reality of the situation in Bangalore for instance is that community leaders and representatives from the north east and the Muslim community have been hard at work to build trust between these communities and restore peace here. If there any backlash that takes place in Assam as a result of the stories that are carried there is a danger of there being repercussions in cities like Bangalore.

We urge the media to be aware of the important role that they have in trying to bring back trust within all the communities and report without sensationalizing anything which could be used by troublemakers. The media in the north east has played a very vital role in promoting democratic values and ensuring the safety and security of people and we hope that at this critical hour all of you will join hands in promoting a more peaceful and stable future.

Friends and members of the north east community in Bangalore. (Courtesy:kracktivist)

Thursday, August 16, 2012

Bio-Diversity of Western Ghats

Global importance for the conservation of biological diversity
                               Courtesy photo
The Western Ghats are internationally recognized as a region of immense global importance for the conservation of biological diversity, besides having areas of high geological, cultural and aesthetic values. The ecosystems of the Western Ghats include the tropical wet evergreen forests, the montane evergreen forests, moist deciduous forests, etc. There are over 4,000 species of angiosperms (1500 endemic), 332 species of butterflies (37 endemic), 288 species of fishes (116 endemic), 156 species of amphibians (94 endemic), 225 species of Reptiles (97 endemic), 508 species of birds (19 endemic) and 137 species of mammals (14 endemic) reported from Western Ghats.

The Government of India has taken several steps to conserve the rich biodiversity of the Western Ghats. A large number of protected areas comprising national parks, wildlife sanctuaries, tiger reserves and elephant reserves have been established to provide stringent protection to both flora and fauna. Nearly 10% of the total area of Western Ghats is currently covered under the Protected Area category. The largest Protected Area in Western Ghats is the Bandipur National Park in Karnataka. The Silent Valley National Park in Kerala and the Kudremukh National Park in Karnataka are among the important tracts of virgin tropical evergreen forests in India, serving as the home to a healthy population of the globally threatened fauna.

The Western Ghats are important from the standpoint of biodiversity conservation. For the purpose of ensuring protection of biodiversity of Western Ghats, there are some restrictions for setting up of industries in certain ecologically significant areas of Western Ghats, for example, there is a moratorium upto 31st December 2012 for consideration of projects from Sindhudurg and Ratnagiri areas of Maharashtra, and for consideration of mining projects in Goa. There is also a ban on consideration of mining projects in some districts of Karnataka in compliance of Supreme Court Orders dated 29 July, 2011 and 26 August, 2011.

The above information was laid in the Parliament by Minister of State (Independent Charge) for Environment and Forests Shrimati Jayanthi Natarajan.  (PIB photo) 16-August-2012 1